अभी तो ये आगाज़ है.
>> Tuesday, February 9, 2010
आखिर हमने दिखा ही दिया की संगठन में शक्ति है। आठ फरवरी को हुई हमारी बैठक और धरने की गूंज ने गूंगी और बहरी सहज के कान खड़े कर दिए। हमारे द्वारा की गई मांगो को पूरा करने में सहज हमेशा असमर्थ रही है ,लेकिन हम अब सहज के झूठे प्रलोभन में फसने वाले नहीं हैं।
हमसे उस लाइसेंस की ५००/-फीस मांगी जाती है जो लाइसेंस हमे मिला ही नहीं है,५०% सभी सेवाओ में लेने के बाद लाइसेंस का कोई मतलब नहीं बनता। इन्टरनेट सहज की जरुरत है न की हमारी की उसका ७००/- प्रति माह हमसे लिया जाये।
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